ओ. पी. नय्यर के शास्त्रीय गीत: Classical Songs by O P Nayyar ओ. पी. नय्यर यांची भजने आणि भक्तीगीते: Bhajan and Devotional Songs by O P Nayyar
ओ. पी. नय्यर के शास्त्रीय गीत: Classical Songs by O P Nayyar
ओ. पी. नय्यर के शास्त्रीय गीत (Classical Songs by O P Nayyar)?
लेख का शीर्षक पढ़कर आप एक बार फिर चौंक गए होंगे! पिछले लेख में ओपीजी द्वारा स्वरबद्ध कुछ लोरीयां और बालगीतों को सुना। और अब ओ. पी. नय्यरजी के शास्त्रीय गीत?
यह कैसे हो सकता है?
ओपीजी ने क्या क्या किया है, हमने इसे अभी तक पूरा कहां देखा है? आइए आज सुनते हैं प्रसिद्ध संगीतकार ओ. पी. नय्यरजी द्वारा रचित हिंदी फिल्म के शास्त्रीय गीत। ये गाने सिर्फ रागपर आधारित फिल्मी गाने नहीं हैं, ये शुद्ध रागदारी हैं! जैसा कि पिछले लेख में उल्लेख किया गया है, ओपी नय्यर, जिन्हें विभिन्न उपाधियों से जाना जाता है, जैसे रिदम किंग ओपी नय्यर, टांगा रिदम वाले ओपी नय्यर, पंजाबी ठेका वाले ओपी नय्यर, क्लब डांस गाने देनेवाले ओपी नय्यर, उडते और मजेदार गाने देनेवाले ओपी नय्यर। पिछले बार हमें ओपीजी द्वारा रचित लोरीयां और बालगीत सुने। आज हम सुनेंगे ओपीजी द्वारा रचित शास्त्रीय गीत! इस विधा में भी ओपीजीने अविश्वसनीय काम किया है। हम देखने जा रहे हैं और निश्चित रूप से अब इसे सुनेंगे भी, और ओपीजी के गीतों के इस नए पहलू की खोज करेंगे।
निर्माता अशोक कुमार ने शास्त्रीय संगीत का अच्छी तरह से इस्तेमाल करनेवाले प्रसिद्ध समकालीन संगीतकार नौशाद, सी. रामचंद्र, मदनमोहन, शंकर जयकिशन आदिकों छोडकर ओपी नय्यरजी को अपनी शास्त्रीय संगीत और नृत्य पर आधारित फिल्म का संगीत देने के लिए अनुबंधित किया, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि उससे न केवल बहुतों की, बल्कि सभी की भौहें तन गईं। इसके अलावा ओपीजी ने इस शिवधनुष्य को उठाकर यह साबित कर दिया है कि वह इस क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं। लेकिन जैसा कि ओपीजी का मूल ढंग अलग था, ओपीजी को इस क्षेत्र में ज्यादा मजा नहीं आया, या उन्हें उस तरह की और फिल्में नहीं मिलीं।
अब सुनिए ओपी नय्यर द्वारा रचित फिल्म से चुनिंदा रागदारी! और आइए ओपी के संगीत करियर के एक अनदेखे पहलू को देखें!
आज के लेख में सबसे पहला गाना है, ‘जोगिया मेरे घर आए‘.
वर्ष १९५८ की फिल्म ‘रागिनी’ के शीर्षकदृश्यमें यह गाना फिल्म की शुरुआत में सुनाई देता है। फिल्म के संगीतकार के रूप में, ओ. पी. नय्यर के नाम होने के बावजूद इस गाने के पीछे ओपजीका का योगदान कम नजर आता है, क्योंकि उस समय के मशहूर शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर खान की गाई हुई बंदिश को अच्छा घिसापीटाके इस फिल्म में इस्तेमाल किया गया है, वो भी उस्ताद आमिर खान की आवाज में जो ओपीजीके बडे फैन थे। लेकिन चूंकि यह फिल्म ओपी के नाम पर है, इसलिए मैं उस गाने को यहां आपको सुनाने के लिए ललचा रहा हूं।
आइए आज के एपिसोड की शुरुआत ललित राग और त्रिताल में रचित इस बंदिश से करते हैं जिसमें भगवान शिव का सुंदर वर्णन किया गया है।
वर्ष १९५८ की फिल्म ‘रागिनी’ में शास्त्रीय संगीत और नृत्यपर आधारित ती, इसलिए फिल्म में रागदारी और नृत्य थे। फिल्म का एक और आकर्षण अभिनेत्री पद्मिनी का उत्कृष्ट नृत्य प्रदर्शन था, जो एक उत्कृष्ट नर्तकी थी! अगले गाने में पद्मिनी का अच्छा नृत्य है, हम उसे देखेंगे नहीं, हम सिर्फ गाना सुनेंगे, ताकि आप गाने का पूरा आनंद उठा सकें।
गाना है, ‘छेड दिये मेरे दिलके तार क्यूँ‘!
इस गाने की कई विशेषताएं हैं, ओपी की खासियत थी कि, हर गाने में कुछ अलग रखा जाए! तो भलेही इस गाने में नर्तकीका नृत्य है, लेकिन यह गाना इस मायने में अनूठा है कि इसे दो पुरुष गायकों ने गाया है। और गायक कौन हैं? इस गाने को उस्ताद अमानत अली खान और उस्ताद बड़े फतेह अली खान इन दो भाईयोंने ने गाया है! पंजाब के होशियारपुर में जन्मे उस्ताद अमानत अली खान और उस्ताद बड़े फतेह अली खान पटियाला घराना की संगीत परंपरा के शास्त्रीय गायक थे, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में बस गए थे। इस मायने में यह बात खास है कि ओपीजीने उस समय पाकिस्तानी गायकों का इस्तेमाल किया था! पता नही कि ओपीने उन्हेंही क्यों चुना? इस गीत में इन दोनों गायकों की जुगलबंदी है। ऐसा लगता है कि ओपीजी ने जुगलबंदी का इसका इस्तेमाल पहली बार किया है। और एक खास बात है, इस गाने में किशोर कुमार को पर्दे पर रागदारी गाते हुए देखा जा सकता है, उस्ताद बड़े फतेह अली खान ने किशोर कुमार के लिए प्लेबैक गाया है और एक अन्य अभिनेता आनंद पाल के लिए उस्ताद अमानत अली खान की आवाज का इस्तेमाल किया है। गीत के अंत में तबले और पद्मिनी के नृत्य की जगमगाहट है। ये सभी खूबियां गाने को और खूबसूरत बनाती हैं। ओपीजी को यह गीत करने की प्रेरणा कैसे मिली या उन्होंने इस गीत को बनाते समय किसी का साथ सहयोग लिया या कैसे? यह अभी कोई नहीं बता सकता। इस गाने में ओपीजी बहुत अलग है। इस गीत को सुनकर स्वर्ग के आनंद का अनुभव करें! यह गीत राग ‘कमोद’ और तीन तालों में रचा गया है। (यदि उपरोक्त जानकारी में कोई गलती हो तो विशेषज्ञ सूचित करें)।
उपरोक्त गीत को सुनने से पता चलता है कि ओपी कितना अलग था। अगला गाना फिल्म ‘रागिनी’ का है।
अगला गाना है, ‘मन मोरा बावरा‘!
लेकिन इस गाने को हर कोई जानता होगा, क्योंकि ओपीजी ने अभिनेता किशोर कुमार के लिए गायक मोहम्मद रफी की आवाज का इस्तेमाल किया था। शायद इसलिए कि किशोर कुमार गाने के साथ न्याय नहीं कर पाते क्योंकि गाना क्लासिकल स्टाइल में था, या शुरुआत में अभिनेता भारत भूषण फिल्म में लीड रोल में थे! किशोर कुमार के लिए मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया गाने के लिए यह गीत प्रसिद्ध है। (वैसे, अभिनेता किशोर कुमार के लिए आठ से दस गायकों ने प्लेबैक किया है, उसके बारेमें फिर कभी बात करेंगे!)। इस गाने के अंत में भी करीब ४० सेकंड तक तबला और पद्मिनी की जुगलबंदी है। यह गीत राग तिलंग और तीनताल पर आधारित है।
अगला गाना भी फिल्म ‘रागिनी’ का है।
गाना है, ‘छोटासा बालमा‘!
यह गीत राग तिलंग, राग खमाज और राग छायानट इन रागोंका मिश्रण पर आधारित बंदिश और तीनताल से बना है। इस गाने को आशा भोसले ने बडी ही सुरीली आवाज ने गाया है। लेकिन दुर्भाग्य से ये गाना पर्दे पर नजर नहीं आ रहा है, यह गीत ओपी के परदा न देखनेवाले गीतों में शामिल है। (कृपया मेरे ‘पर्देपर न दिखनेवाले ओपी के गाने – भाग १ और भाग २ पढ़ें। लेख के अंत में उनकी लिंक दियी है। ऐसा लगता है कि भाग ३ जल्द ही लिखा जाएगा क्योंकि ऐसे गाने अभी और भी मिल रहे हैं)। चलिए अब गाने का आनंद लेते हैं।
फिल्म ‘रागिनी’ में कुल १२ गाने थे। हमने उनमें से चार को यहां सुना है। बाकी गीत आज हमारे विषय से हटकर हैं। अब कुछ और फिल्मी गाने सुनते हैं। लेकिन वे गीत रागदरी के बजाय अर्ध-शास्त्रीय (Semi Classical) लगते हैं।
अगला गाना है, ‘अकेली हूँ मैं, पिया आ‘!
१९६९ की फ़िल्म ‘संबंध’ के गाने ओपी के संगीत करियर के शिखर कहे जा सकते हैं। ओपी की गुणवत्ता यहाँ सिद्ध होती है। लेकिन ओपी के करियर का आखिरी दौर शुरू हो चुका था। और फिल्म चली ही नहीं, इसलिए गीतकार कवि प्रदीप और संगीतकार ओ. पी. नैय्यर के अभूतपूर्व सहयोग से बनी इस फिल्म के गीतों को नजरअंदाज कर भीड़ में खो दिया गया। केवल जानकार श्रोता ही इन गीतों को जानते या याद करते हैं।
उनमें से एक गाना है। ‘अकेली हूं मैं, पिया आ‘! फिल्मके अन्य गानों की भीड़ में यह गाना अनदेखा हो गया। मुजरा स्टाईल का यह गाना स्क्रीनपर अधूरा सा दिखाया है। और गानाभी ढंगसे चित्रित न करके इस गानेपर अन्याय कर दिया है! शिवरंजिनी रागपर आधारीत ये गाना बहुत अच्छा है! चलिये सुनते है ‘अकेली हूँ मैं, पिया आ’!
अगला गाना है,, ‘देखो बिजली डोले बिन बादल की‘!
इस गाने को १९६३ में आई फिल्म ‘फिर वही दिल लाया हूं’ में देखा गया था। फिल्म में १० अलग-अलग गाने जैसे की प्रेम गीत, छेडछाड़ गीत, विरहगीत, फेमस तांगा रिदम, रोमांटिक सॉन्ग थे, इसके साथ ओपीजीने एक कमाल का सेमी-क्लासिकल नृत्यगीत दिया है। आशा पारेख और अन्य अभिनेत्री ने इस गाने पर कमाल का नृत्य किया है, गाने के अंत में करीब सव्वा मिनटकी नृत्य जुगलबंदी गाने को काफी शानदार और प्रेक्षणीय बना देती है। बसंत मुखरी राग, भैरव थाट और तीनताल मी रचित ये गीत आपको अवश्य ही मंत्रमुग्ध कर देगा। इसके अलावा, इस गीत में ओपी ने दोनों मंगेशकर बहनों ‘आशा और उषा’ को एक साथ पार्श्व गायन के लिए लिया है। स्क्रीनपर तबस्सुम को चश्मा पहनकर गाते हुए इस गाने में देखा जा सकता है। ओपीजी ने गाने में नृत्य की जुगलबंदी में भारतीय वाद्ययंत्रों का बहुत उपयोग बहुत प्रभावशाली किया है।
अगला गाना है, ‘ओ कन्हैया, आज पनघट पे है तेरी राधा अकेली‘!
अभिनेता जॉय मुखर्जी द्वारा प्रथम निर्मित और निर्देशित १९६८ की फिल्म ‘हमसाया’ फ्लॉप रही, लेकिन ओपी ने फिल्म में सात अद्भुत गाने दिए, जिनमें से एक अर्ध-शास्त्रीय नृत्य शामील है। इस गाने से साबित होता है कि अभिनेत्री शर्मिला टैगोर भी अच्छा नृत्य करती थी। गीत ओपी शैली के ऑर्केस्ट्रा के साथ शुरू होता है, लेकिन तुरंत भारतीय वाद्यवृंद का अनुसरण करता है, यह बदलाव सुनने में अच्छा लगता है। तो चलिए अब सुनते हैं, ‘ओ कन्हैया, आज पनघट पर है, तेरी राधा अकेली’।
आज के एपिसोड का आखिरी गाना है, ‘तू है मेरा प्रेम देवता‘!
इस बेहतरीन गाने को अंत में रखा हैं, क्योंकि हम इस गाने का वीडियो देखने वाले हैं।
अशोक कुमार द्वारा सह-निर्मित १९६० की फिल्म ‘कल्पना’ एक नृत्यप्रधान फिल्म थी। प्रसिद्ध तीन त्रावणकोर बहनोंमें से, दो बहने रागिनी और पद्मिनी जैसी नृत्य अभिनेत्रियाँ इस फिल्म में थीं। इसलिए स्वाभाविक था कि फिल्म में शास्त्रीय संगीत पर आधारित नृत्य और गीत होंगे।
इसलिये ओपीजी ने फिल्म में एक शास्त्रीय संगीत और नृत्यपरआधारीत गाना दिया, ‘तू है मेरा प्रेम देवता’। जैसा कि लेख में ऊपर उल्लेख किया गया है, इस गाने में दो नायिकाएँ पर्दे पर नृत्य कर रही हैं, तथापि दो पुरुष गायकोंने यह गाना गाया है! यह भी एक नया प्रयोग था। गाने को मोहम्मद रफी और मन्ना डे ने गाया है। ललित रागपर आधारीत का यह शास्त्रीय गीत है! गायक मोहम्मद रफ़ी और मन्ना डे दोनों ने इस गाने को बहुत अच्छा गाया है। गीत के विषय अनुसार गीतकार कमर जलालाबादी (ओम प्रकाश भंडारी) ने शुद्ध हिंदी में बहुत अच्छी काव्य की रचना की है।
इस १० मिनट के गीत के अंत में, लगभग ५ मिनट सिर्फ रागिनी और पद्मिनी के नृत्य जुगलबंदी और (अज्ञात) गायक का ताना और तराना! इसलिए इस गाने का वीडियो यहां दिया गया है। और तो और इस गाने का कलर वीडियो आपके लिए उपलब्ध किया है जिससे गाने का मजा और भी बढ़ जायेगा। पद्मिनी ने अपने एक साक्षात्कार में इस नृत्य को ‘गंगा जमुना नृत्य (Ganga Jamuna Dance)’ कहा था।
उपरोक्त सभी गीतों को सुनने के बाद आपको यह आभास हो गया होगा कि, ओ. पी. नय्यरजी ने शास्त्रीय संगीत और रागदारी शैलियों का भी प्रयोग किया है, लेकिन सिर्फ टांगा ह्रिदम और क्लब सॉंग्स और रोमँटिक गीतों से परे ओ. पी. नय्यरजी की इस विशेषता का पता नहीं चलता, इसे सबके सामने रखने का मेरा यह एक और छोटा सा प्रयास है!
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि ओपीजी ने बिना कोई पारंपरिक शास्त्रीय संगीत सीखे भी हमारे लिए ऐसे सैकड़ों सुंदर गीतों की रचना की है। शायद लाहौर रेडियो में अपनी उम्मीदवारी के दौरान उन्हें शास्त्रीय संगीत का ज्ञान अवगत किया होगा।
१९६८ की फिल्म फागुन के सभी के सभी १२ गानों को एक ही ‘पीलू’ राग में बांधने वाले ओपी कहते हैं, ‘ये सा नी ध पी क्या है, मुझे आज तक पता नहीं चल सका’ और एक फिल्मफेयर साक्षात्कार में, “बेशक, मैं शास्त्रीय संगीत जानता हूं, लेकिन मैं इसे अपनी आस्तीन पर नहीं पहनता। (“Of course, I know classical music. I don’t wear it on my sleeve) ऐसे ओपी के कहने का वास्तव में क्या मतलब है? तो यह सब आया कहाँ से?
इस प्रश्न उत्तर एक ही है, ‘ओपी मतलब, शापित गंधर्व‘!
अगली बार आइए ओपी के एक और नए पहलू को देखें।
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इस लेख का प्रथम प्रकाशन मराठी भाषामें मेरे ब्लॉगपर दि. ३० दिसम्बर २०२२ को हुआ था।
ओ पी नय्यर के शास्त्रीय गीत – Classical Songs by O P Nayyar – लेख कॉपीराइट: लेखक और संकलनकर्ता – चारुदत्त सावंत, 2023. मोबाइल 8999775439
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मनोगत: मैं किसी भी शास्त्रीय संगीत का विद्वान या पारखी नहीं हूँ, मैंने इस लेख में विभिन्न माध्यमों, लेखों और पारखी लोगों से परामर्श करके रागदारी शब्दों का प्रयोग किया है। यदि इसमें कोई कमी या परिवर्तन हो तो कृपया मुझे बताएं। इसके अलावा, मेरी अज्ञानता के कारण, यहां उपयोग किए जाने वाले वाद्य यंत्र के बारे में कोई टिप्पणी नहीं है! कृपया मेरी अज्ञानता को दूर करने में मेरी मदद करें। धन्यवाद!
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References:
- https://chandrakantha.com/raga_raag/film_song_raga/basant_mukhari.shtml#Dekho
- https://www.hindigeetmala.net/
- https://atulsongaday.me/
- https://books.google.co.in/books?id=lmrSLuBwbKkC&lpg=PA53&dq=man%20mora%20baawara%20raag&pg=PA53#v=onepage&q&f=false
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