प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा – एक दुर्लभ देशभक्ती गीत Pranaam Un Dulhano Ko Mera (Hindi Version)
प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा – एक दुर्लभ देशभक्ती गीत Pranaam Un Dulhano Ko Mera (Hindi Version)
वर्ष १९६२में चीन से मिली करारी हार के बाद १९६३ में गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में ५०,००० दर्शकों के सामने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में भारत रत्न लता मंगेशकर द्वारा गाया गया अमर देशभक्ति गीत ‘ये मेरे वतन के लोगो’ हर किसी का पसंदीदा है, इस गीत ने जो इतिहास रचा वह भी सर्वविदित है।
लेकिन ऐसा ही एक और देशभक्ति गीत वर्ष १९६६ में बनाया गया था, लेकिन यह आज भी लोगों को याद नहीं है, बल्कि देश के ज्यादातर लोगों को यह गाना पता भी नहीं है। गाना है, ‘प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा’!
आज हम इसी गाने के बारे में जानेंगे।
‘ये मेरे वतन के लोगो’ गाना उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
लेकिन हम इन्हीं सैनिकों की विधवा पत्नी के बलिदान या उनके दुःख को महत्व नहीं देते, उनके बलिदान और वीरता को याद करने के लिए वर्ष १९६६ में एक नया देशभक्ति गीत रचा गया, वह गीत है ‘प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा’|
१९६५ के भारत-पाक युद्ध के बाद, यह गीत पहली बार आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन फंड के लिए नई दिल्ली में एक संगीत कार्यक्रम में गाया गया था। ‘ये मेरे वतन के लोगो’ गाने के कवि प्रदीप और संगीतकार सी. रामचंद्र इन दोनोंनेही इसी गीत की रचना की थी, केवल इस बार गायिका आशा भोसले थीं।
सैनिक विधवा कल्याण कोष के लिए आयोजित एक संगीत कार्यक्रम में जब यह गीत गाया गया तो तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री उपस्थित नहीं थे, इसलिए अगले दिन प्रधान मंत्री के आवास पर प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के सामने यह गीत फिर से प्रस्तुत किया गया।
संगीतकार सी. रामचन्द्र ने गीत प्रस्तुत किया और गीत प्रारम्भ किया।
हालांकि गाना शुरुआत में धीमा है, लेकिन अंत में यह ऊंचे स्तर पर पहुंच जाता है, जिसे सुनकर आपकी आंखों में आंसू जरूर आ जाएंगे।
तो आइए सुनते हैं गाना: ‘प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा’, गायिका: आशा भोसले, गीतकार: कवि प्रदीप, संगीतकार: सी. रामचन्द्र
हम इस गाने के बोल पहली बार इंटरनेट पर उपलब्ध करा रहे हैं।
करलो प्रणाम ये लोगो,
वो वंदनीय है बहने,
इस देश के लिए जिन्होंने,
विधवा के कपडे पहने।।
प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा,
जिन्होने अपना सब कुछ गंवाया,
वतन ये ज़िंदा रहे इसलिये,
अपना सुहाग सिन्दूर लुटाया
प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा ….. ।।
ये है शाहिदोंकी अमानतें,
हर विधवा है पावन गंगा,
इन बहनोंके बलिदानोंको,
कभी ना भुलेगा ये तिरंगा,
अपनी मांग उजाडली इन्होंने,
हम सबका कश्मीर बचाया,
वतन ये ज़िंदा रहे इसलिये,
अपना सुहाग सिन्दूर लुटाया ।।
प्रणाम उनको जिन्होंने,
सरहदपें अपने प्यारे किये निछावर,
प्रणाम उनको जिन्होंने,
रणमें अपने सहारे किये निछावर,
प्रणाम उनको …..
प्रणाम उनको जिन्होंने अपना,
काजल त्यागा, बिंदिया छोडी,
प्रणाम उनको …..
वतन की खातीर जिन्होंने अपनी,
चुडियां तोडी,
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद ।।
आशा है कि आपको यह गाना ‘ये मेरे वतन के लोगो’ की तरह ही पसंद आएगा, और आप सैनिकों की विधवाओं और उनके परिवारों के प्रति स्नेह और प्यार महसूस करेंगे और कर्तव्यनिष्ठा से उनकी हर संभव मदद करके अपनी देशभक्ति साबित करेंगे, यही ७६वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों से अनुरोध, जय हिन्द!

प्रणाम उन दुल्हनों को मेरा – एक दुर्लभ देशभक्ती गीत Pranaam Un Dulhano Ko Mera (Hindi Version) – लेख स्वामित्वहक्क – चारुदत्त सावंत २०२१, संपर्क: ८९९९७७५४३९
Photos Courtesy: Google.com
